Wednesday, May 04, 2011

मुस्कुराहटें


हर कोई मुस्कुराता है
अपने अपने अर्थ के साथ।

बच्चा मुस्कुराता है,
तो लगता है, वह निर्भय है।
प्रेमिका मुस्कुराती है,
तो लगता है, उसे स्वीकार है मेरा प्रस्ताव।
दार्शनिक मुस्कुराता है,
तो लगता है, व्यंग्य कर रहा है दुनिया पर।
भूखा मुस्कुराता है,
तो लगता है, वह मुक्त हो चुका है और पाने को पड़ी है
उसके सामने पूरी दुनिया।

जब अमीर मुस्कुराता है,
तो लगता है, शासक मुस्कुरा रहा है,
कि देश की कमज़ोर नब्ज़ उसके हाथ में है,
कि जब भी उसे मज़ा लेना होगा,
दबा देगा थोड़ा सा। 

3 comments:

सागर said...

kal padhi Kabaadkhana par... achcha laga.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मुस्कान पर अच्छा शोध किया है ..

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA said...

जितने पन्ने खुले मुस्कराहट के .. सच कहते हैं.