Saturday, May 21, 2011

बिक रहे हैं अख़बार



अब अख़बार पढ़ने से ज़्यादा बेचने के काम आते हैं।
मेरे सारे अख़बार बिक चुके हैं।
अख़बारों को बेचने के पैसे बहुत मिलते हैं।
और बिग बाज़ार में तो दाम तिगुने मिलते हैं।

पन्ने पर पन्ना छप रही है ख़बर,
क्यों कि लोग ख़रीद रहे हैं अख़बार।

पेपर की रिसाईक्लिंग के बाद
फिर से छपेगी ख़बर,
फिर से लोग ख़रीदेंगे,
और फिर से बिकेंगे अख़बार।
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यह कविता सर्वप्रथम समालोचन पर प्रकाशित हुई।  

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