उसका बेटा रोटी खाने से कर रहा था इंकार।
उसे चाहिए था बाघ।
उस औरत ने लोई से बनाया एक बाघ और चूल्हे में पकाया।
गर्म और पका हुआ
चूल्हे से निकला बाघ।
बच्चे ने पूरा का पूरा बाघ एक साथ डाल लिया मुँह में,
और उसका चेहरा हो गया लाल।
बच्चे को देख कर औरत को अपने पति की याद आ गई।
जो मारा गया था,
जंगल के पेड़ बचाते हुए।
औरत की छाती में उमड़ आया प्यार।
3 comments:
sundar abhivyakti!
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति
रचना बेहद सुन्दर है …. उम्दा … शुभकामनाएं
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