वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था।
लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको।
दीमक ने अपना महल बना लिया था अन्दर ही अन्दर उसके।
मैंने जब वरदान माँगा,
तो वह ढह गया।
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21 सितंबर 2010.
3 comments:
भुलावे के भगवान !!!
oh !
Wah!
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