पिंकी चल पड़ी पैदल ही पूरे देश को दुत्कार के.
थूक के सरकार के मुँह पे.
मुँह फेर के उनके वादों से
पिंकी चल पड़ी बारह सौ किलोमीटर दूर अपने देस.
थूक के सरकार के मुँह पे.
मुँह फेर के उनके वादों से
पिंकी चल पड़ी बारह सौ किलोमीटर दूर अपने देस.
एड़ी फट गई, सड़कें फट गईं.
वह चलती रही और चलती रही.
वह चलती रही और चलती रही.
अंतड़ियाँ चिपक गईं.
चमड़ी सूख गई चिलकती धूप में.
फिर भी वह अपने देस के सपने की तरफ़ बढ़ी जा रही थी निरंतर.
बढ़ी जा रही थी अपने अम्मा-बाबू के सपने की तरफ़.
पर धरती से यह सब सहन न हुआ और फट गई.
समा गई पिंकी उसकी छाती में.
चमड़ी सूख गई चिलकती धूप में.
फिर भी वह अपने देस के सपने की तरफ़ बढ़ी जा रही थी निरंतर.
बढ़ी जा रही थी अपने अम्मा-बाबू के सपने की तरफ़.
पर धरती से यह सब सहन न हुआ और फट गई.
समा गई पिंकी उसकी छाती में.
सपने में अम्मा-बाबू के,
पिंकी ने अपना किवाड़ खटखटाया.
पिंजरे का तोता फड़फड़ाया.
पिंकी ने अपना किवाड़ खटखटाया.
पिंजरे का तोता फड़फड़ाया.
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