Wednesday, October 27, 2010

नाटक की शुरुआत


आती है रौशनी उस रौशनदान से
छोटी सी दीवार की जगह को घेरते हुए।
स्पॉट लाईट की तरह,
आती है रौशनी उस रौशनदान से।
जैसे लगता है, बस,
नाटक शुरु होने वाला है।

1 comment:

सुशीला पुरी said...

बहुत पारदर्शी विम्ब ! खूबसूरत !!!