पता नहीं क्यों हर बार लगता है,
रेल पर सफ़र करते हुए
कि टीटी आएगा और टिकट देख कर कहेगा
कि आपका टिकट ग़लत है
या आप ग़लत गाड़ी में चढ़ गये हैं,
आपकी गाड़ी का समय तो कुछ और है,
तारीख़ भी ग़लत है,
आपने ग़लत प्लेटफ़ॉर्म से ग़लत गाड़ी पकड़ ली है,
आप उल्टी तरफ़ जा रहे हैं।
और वह चेन खींच कर उतार देगा
मुझे निर्जन खेतों के बीच।
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यह कविता सबसे पहले समालोचन पर पोस्ट हुई।
1 comment:
ab chain khinchane se tran nahi rukati...aur TT bhi tiket chk karne nahi aataa...hamari gadi ulti chal rahi hai...
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