
भूख बनाती है मूल्य।
इस पार या उस पार होने को उकसाती है।
नियति भूख के पीछे चलती है।
ढा देती है मीनार।
सभी ईश्वर, देवी-देवता, स्तब्ध रह जाते हैं।
भूख रचती है इतिहास।
इस पार या उस पार होने को उकसाती है।
नियति भूख के पीछे चलती है।
ढा देती है मीनार।
सभी ईश्वर, देवी-देवता, स्तब्ध रह जाते हैं।
भूख रचती है इतिहास।
1 comment:
sach hai bhai duniya ko sirf bhukh hi chalati hai, bhale wo kisi bhi prakar ki ho.
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